भारत सरकार ने कर सुधार की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए 1 जुलाई, 2017 से सम्पूर्ण भारत में एकल कर जीएसटी लागू करने का फैसला किया है। यह वस्तु एवं सेवाओं पर केन्द्र एवं राज्य सरकारों द्वारा वर्तमान में लगाए जा रहे विभिन्न अप्रत्यक्ष करों का स्थान लेगा।
वर्तमान व्यवस्था में एक ही वस्तुओं पर विभिन्न प्रकार के अलग—अलग कर लगते हैं जिससे करों का यह भार अंतिम उपभोक्ता को ही वहन करना पड़ता है। जीएसटी आने से सभी वस्तुओं पर एक समान कर लगेगा इससे सभी राज्यों में वस्तुओं और सेवाओं की कीमत समान होंगी।
वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) क्या है?
जीएसटी एक अप्रत्यक्ष कर है जो पूरे देश में एक समान रूप से लागू होगी और वस्तु एवं सेवाओं पर वर्तमान में लागू केन्द्र और राज्य के विभिन्न करों को प्रतिस्थापित करेगी।
जीएसटी किस प्रकार आम जनता/अंतिम उपभोक्ता को सहायता पहुंचाएगी?
जीएसटी प्रणाली में इनपुट टैक्स क्रेडिट प्रदान किया जाता है जो विनिर्माण प्रक्रिया के प्रत्येक चरण में पिछले लेन—देन पर चुकाए गए कर का दावा करने का विकल्प उपलब्ध कराता है।
इसे समझने के लिए हम निम्नलिखित उदाहरण का सहारा ले सकते हैं।
कोई निर्माता कच्चे माल की खरीद के लिए 1000 रूपये खर्च करता है। यदि करों की दर 10% हो तो उसे 100 रूपये कर का भुगतान करना होगा। अब वस्तु का लागत मूल्य 1100 रुपये हो गया. निर्माता उत्पादन शुल्क एवं अपने लाभ के रूप में 400 रुपये जोड़कर थोक विक्रेता को माल बेचता है. अब वस्तु का अंतिम मूल्य 1500 + 10% कर (150) = 1650 रुपये होगा. थोक विक्रेता पैकेजिंग शुल्क और अपने लाभ की राशि के रूप में 300 रुपये जोड़कर फुटकर विक्रेता को बेचता है. अब वस्तु का अंतिम लागत मूल्य (1650 +300=1950)+10% कर (195) =2145 रुपये होगा.
नई जीएसटी आधारित व्यवस्था में प्रत्येक चरण पर इनपुट टैक्स क्रेडिट प्राप्त होगा। अर्थात कच्चे माल की खरीद पर रूपये 1000 के लिए वह 100 रूपये जब पहले भुगतान कर चुका है तो उसपर उसे दुबारा कर का भुगतान नहीं करना पड़ेगा। अगले चरण में 400 रूपये उत्पादन शुल्क आदि के रूप में निर्माता द्वारा लगाये गए शुल्क पर 10% अर्थात 40 रूपये कर लगेगा। फिर खुदरा व्यापारी द्वारा 300 रूपये उत्पादन शुल्क आदि के रूप में निर्माता द्वारा लगाये गए शुल्क पर 10% अर्थात 30 रूपये कर लगेगा। अर्थात कुल कर 170 रूपये के पश्चात अंतिम लागत मूल्य 1870 रूपये होगा।
जीएसटी के अंतर्गत कर व्यवस्था
जीएसटी प्रणाली में केन्द्र द्वारा लगाये गए कर सीजीएसटी और राज्य द्वारा लगाये गए कर एसजीएसटी के नाम से जाने जाएंगे। अंतर—राज्य वस्तुओं तथा सेवाओं की आपुर्ति पर केन्द्र द्वारा एकीकृत कर आईजीएसटी लगाया जाएगा।
इसे समझना बहुत आसान है। यदि पश्चिम बंगाल में किसी वस्तु का उत्पादन होता है और उसे पश्चिम बंगाल में ही विक्रय किया जाता है तो उस पर दोहरी जीएसटी लागू होंगे। केन्द्र सरकार वस्तु पर सीजीएसटी और पश्चिम बंगाल राज्य सरकार उसपर एसजीएसटी आरोपित करेंगी। परंतु यदि उसे पश्चिम बंगाल से बाहर विक्रय किया जाता है तो उसपर एक ही कर आईजीएसटी केन्द्र सरकार आरोपित करेगी।
सीजीएसटी और आईजीएसटी का करारोपण और प्रशासन केन्द्र करेगा जबकि एसजीएसटी का करारोपण और प्रशासन सम्बंधित राज्य करेंगे।
दोहरा जीएसटी क्यों आवश्यक है?
भारत एक संघीय देश है, जहां केन्द्र और राज्यों को उनके उपयुक्त कानून के माध्यम से करारोपण और एकत्र करने की शक्तियां प्रदत्त की गई हैं। दोनों सरकार के स्तर पर अलग—अलग जिम्मेदारियों के निष्पादन के अनुसार संविधान में शक्तियों का विभाजन निर्धारित किया गया है जिसके लिए उन्हें संसाधनों को जुटाने की आवश्यकता होती है। दोहरा जीएसटी, इसीलिए वित्तीय संघवाद की संवैधानिक आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए बनाया गया है।
जीएसटी में किन करों को प्रतिस्थापित किया गया है?
जीएसटी एक अप्रत्यक्ष कर है और यह केवल अप्रत्यक्ष करों को ही प्रतिस्थापित करेगा। प्रत्यक्ष करों की स्थिति यथावत रहेंगी।
जीएसटी केन्द्र के निम्नलिखित करों की जगह लगाया जाएगा जिन्हें इस समय केन्द्र लगा रहा है और वसूल रहा है —
राज्य द्वारा लगाए जा रहे निम्नलिखित करों को जीएसटी में मिलाया जाएगा—
जीएसटी किस प्रकार आम जनता/अंतिम उपभोक्ता को सहायता पहुंचाएगी?
जीएसटी प्रणाली में इनपुट टैक्स क्रेडिट प्रदान किया जाता है जो विनिर्माण प्रक्रिया के प्रत्येक चरण में पिछले लेन—देन पर चुकाए गए कर का दावा करने का विकल्प उपलब्ध कराता है।
इसे समझने के लिए हम निम्नलिखित उदाहरण का सहारा ले सकते हैं।
पुरानी व्यवस्था
|
GST
आधारित नई व्यवस्था
|
|||||
| कार्य | अंतिम लागत | 10 % कर | कुल मूल्य | अंतिम लागत | 10 % कर | कुल मूल्य |
| कच्चे माल की खरीद @1000 | 1000 | 100 | 1100 | 1000 | 100 | 1100 |
| निर्माता, थोक व्यापारी को उत्पादन शुल्क व अपने लाभ के रूप में @400 जोड़कर बेचता है. (अनुमानित) | 1100+400=1500 | 150 | 1650 | 1100+400=1500 | 40 | 1540 |
| थोक व्यापारी, खुदरा व्यापारी को पैकेजिंग शुल्क व अपने लाभ के रूप में @300 जोड़कर बेचता है. (अनुमानित) | 1650+300=1950 | 195 | 2145 | 1540+300=1840 | 30 | 1870 |
| अंतिम उपभोक्ता के लिए लागत मूल्य |
2145
|
1870
|
||||
| कुल कर की राशि | 445 | 170 | ||||
कोई निर्माता कच्चे माल की खरीद के लिए 1000 रूपये खर्च करता है। यदि करों की दर 10% हो तो उसे 100 रूपये कर का भुगतान करना होगा। अब वस्तु का लागत मूल्य 1100 रुपये हो गया. निर्माता उत्पादन शुल्क एवं अपने लाभ के रूप में 400 रुपये जोड़कर थोक विक्रेता को माल बेचता है. अब वस्तु का अंतिम मूल्य 1500 + 10% कर (150) = 1650 रुपये होगा. थोक विक्रेता पैकेजिंग शुल्क और अपने लाभ की राशि के रूप में 300 रुपये जोड़कर फुटकर विक्रेता को बेचता है. अब वस्तु का अंतिम लागत मूल्य (1650 +300=1950)+10% कर (195) =2145 रुपये होगा.
नई जीएसटी आधारित व्यवस्था में प्रत्येक चरण पर इनपुट टैक्स क्रेडिट प्राप्त होगा। अर्थात कच्चे माल की खरीद पर रूपये 1000 के लिए वह 100 रूपये जब पहले भुगतान कर चुका है तो उसपर उसे दुबारा कर का भुगतान नहीं करना पड़ेगा। अगले चरण में 400 रूपये उत्पादन शुल्क आदि के रूप में निर्माता द्वारा लगाये गए शुल्क पर 10% अर्थात 40 रूपये कर लगेगा। फिर खुदरा व्यापारी द्वारा 300 रूपये उत्पादन शुल्क आदि के रूप में निर्माता द्वारा लगाये गए शुल्क पर 10% अर्थात 30 रूपये कर लगेगा। अर्थात कुल कर 170 रूपये के पश्चात अंतिम लागत मूल्य 1870 रूपये होगा।
जीएसटी के अंतर्गत कर व्यवस्था
जीएसटी प्रणाली में केन्द्र द्वारा लगाये गए कर सीजीएसटी और राज्य द्वारा लगाये गए कर एसजीएसटी के नाम से जाने जाएंगे। अंतर—राज्य वस्तुओं तथा सेवाओं की आपुर्ति पर केन्द्र द्वारा एकीकृत कर आईजीएसटी लगाया जाएगा।
इसे समझना बहुत आसान है। यदि पश्चिम बंगाल में किसी वस्तु का उत्पादन होता है और उसे पश्चिम बंगाल में ही विक्रय किया जाता है तो उस पर दोहरी जीएसटी लागू होंगे। केन्द्र सरकार वस्तु पर सीजीएसटी और पश्चिम बंगाल राज्य सरकार उसपर एसजीएसटी आरोपित करेंगी। परंतु यदि उसे पश्चिम बंगाल से बाहर विक्रय किया जाता है तो उसपर एक ही कर आईजीएसटी केन्द्र सरकार आरोपित करेगी।
सीजीएसटी और आईजीएसटी का करारोपण और प्रशासन केन्द्र करेगा जबकि एसजीएसटी का करारोपण और प्रशासन सम्बंधित राज्य करेंगे।
दोहरा जीएसटी क्यों आवश्यक है?
भारत एक संघीय देश है, जहां केन्द्र और राज्यों को उनके उपयुक्त कानून के माध्यम से करारोपण और एकत्र करने की शक्तियां प्रदत्त की गई हैं। दोनों सरकार के स्तर पर अलग—अलग जिम्मेदारियों के निष्पादन के अनुसार संविधान में शक्तियों का विभाजन निर्धारित किया गया है जिसके लिए उन्हें संसाधनों को जुटाने की आवश्यकता होती है। दोहरा जीएसटी, इसीलिए वित्तीय संघवाद की संवैधानिक आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए बनाया गया है।
जीएसटी में किन करों को प्रतिस्थापित किया गया है?
जीएसटी एक अप्रत्यक्ष कर है और यह केवल अप्रत्यक्ष करों को ही प्रतिस्थापित करेगा। प्रत्यक्ष करों की स्थिति यथावत रहेंगी।
जीएसटी केन्द्र के निम्नलिखित करों की जगह लगाया जाएगा जिन्हें इस समय केन्द्र लगा रहा है और वसूल रहा है —
- केन्द्रीय उत्पाद शुल्क
- उत्पाद शुल्क (औषधिक एवं प्रसाधन उत्पाद)
- अतिरिक्त उत्पाद शुल्क (विशेष महत्व की वस्तुएं)
- अतिरिक्त उत्पाद शुल्क (वस्त्र एवं वस्त्र उत्पाद)
- अतिरिक्त सीमाशुल्क (जिसे सामान्यतया सीवीडी के नाम से जाना जाता है)
- विशेष अतिरिक्त सीमाशुल्क (एसएडी)
- सेवा कर
- उपकर और अधिकार, जहां तक कि वे वस्तुओं और सेवाओं की आपुर्ति से सम्बंधित हैं
राज्य द्वारा लगाए जा रहे निम्नलिखित करों को जीएसटी में मिलाया जाएगा—
- राज्य वैट
- केन्द्रीय बिक्री कर
- खरीद कर
- विलासिता कर
- प्रवेश कर (सभी प्रकार के)
- मनोरंजन कर (उनको छोड़कर जो स्थानीय निकायों द्वारा लगाए जाते हैं)
- विज्ञापनों पर लगाया जाने वाला कर
- लाटरी, बेटिंग और गैंबलिंग पर लगाए जाने वाला कर
- राज्य सेस और अधिभार जहां तक वे सेवाओं के सामान की आपुर्ति से संबंधित हैं।

إرسال تعليق